श्रीअनिरुद्ध चालीसा | Aniruddha Chalisa Lyrics in Marathi and Hindi

 श्रीअनिरुद्ध चालीसा |Aniruddha Chalisa Lyrics in Marathi and Hindi 

Aniruddha Chalisa Lyrics in Marathi and Hindi

दोहा 

श्रीसद्गुरु सुमिरन बल 

सब कुछ करत सुहाई 

अनिरुद्ध नाम की रटन लगाई 

टूट गयी दुःख की डोरी


जय अनिरुद्ध पूरण अवतारा 

जय गोविन्द परमसुखधामा 

जय नंदारमणा बलवंता 

रं रं रं रं जय अभिरामा 


रात दिवस अनिरुद्ध धुन गाउ 

साथ में लायो सुचितसो दाऊ 

सब ऋषिजन मिल जपत महेषु 

गोपगोपीजन गात रमेषु 


कार्तिकमास की पूरनमासी 

प्रगट भयो जै जै त्रिपुरारी 


पूर्णशक्ति सर्बसुखखानी

दयाकृपाकर बल का दानी 


गोपीनाथजी दर्शन पावत 

श्रीविठ्ठल के चरणा लागत 

स्वामीकृपा से जप रट चालत 

बंश तुम्हारे प्रभु है आवत 


पाय आशीषा वृद्ध अपरा

कहत कहानी निजकुलदारा 

कुल अपने है विट्ठल आवत 

निर्गुण दे जब सगुण प्रकाशत


श्यामल रूप मुनिजन सेवी 

द्वार खड़े नौ निधि की देवी


भल चन्द्रमा सोभत निका

सहज सूरज परभा हो फीका


भगत ने जबहि नाम पुकारा 

तबही बापू दुःख निवारा 


कृपा महान तुमसम नाही

राजा रैंक भेद नही पाई 


साईं निवास  में  परगट ग्वाला 

हेमाडया में अंतिम ज्वाला 


पूजन मीनाभाभी कीन्हा 

असगुरुरुप में दरसन दीन्हा 


सरगुणसहित इंद्र करि वंदन 

भवभवनाशन खल्दालमरदन

सूरजवंशी राम धराधर

चक्रपाणि हरी सद्गुण आगर


नाम की सेज प्यार की माला 

हरिदेव सिंहासन बसत अकाला 


पुरुषार्था कलजुग भूल जाइ

जुइगाव बस काज दिखाई


पंचपुरुष श्रद्धा बतलाई 

धर्मचक्र रख शुरू लड़ाई


भारतवास की जो माता

तुम बन खड़े गौ  के त्राता


नाश अधर्मा पालन धर्म 

यही कारन अवतारण वर्मा


धरम ते भगति जोग ही नामा 

ज्ञान ते दर्शन अनिरुद्ध धामा 


राम विराम सुखद अभिरामा 

कलिमलभंजक अनिरुद्ध नामा 


जगत में एक प्राणपति बापू 

तासु बिमुख किमी लह विश्रामु


बापू नामसँ बल कुछ नहीं 

रिपु बल नाश कराइ छनमाँहि


महापापी जब नाम सुमिरहि 

जोर अपार दुःखसागर तरही 


निज इच्छा अनिरुद्ध अवतराई

धरम प्रेम आनंदन लागि


सेवा करबे वो बाद भागी 

चरम कृपालु बापू अनुरागी


बापू नाम्बिनु करम अधूरा 

श्रीदर्शन बिनु अन्न ही जहरा


कोई मनोरथ बड़ मन माहि 

प्रयास करात पर फलवत नाही


 धीर धरहु न हो उदासा 

सब मिली जाऊ अनिरुधा पासा


अनिरुद्ध नाम प्रफुल्लित गाता

तरतहि पीड़ रोग दूर जाता 


देख चरण सुमंगलमूला 

जानऊ बापू भगति अनुकूला 


परबत सैम बड़ौ मम भागु

घोर पाप मालिक अनुरागु


सदैव सरनगर हितकारी 

करि रच्छन भवभय मलहारी


बापू भगति को कहौ बखानी 

सहज मार्ग जैश पावहि प्रानी


अनिरुद्ध गावत पुलक सरीरा

गदगद बानी आणखी बाह नीरा 


बापू चरणधूलि मोहे अतिप्रेमा 

तन मन धन सेवा दृढ नेमा 


दोहा

अनिरुधा चालीसा स्तोत्र यह इक मंत्र महान अपार

सर्ब कामना पूरन प्रति व्यर्थ बचन न जाय 

पीपा निर्बुद्धा सहज जड़ ना जानै जोग तप नेम 

बापू कृपा नाही पाऊं तसि जैसी चरनन्हि प्रेम 


नन्दापाती अनिरुद्ध की जय

चक्रधर चिदानंद की जय 

बोलो भय दौन सूचित की जय जय जय 








Facebook
YouTube
Instagram
WhatsApp